आज एकादशी व्रत पारण 2022

हिन्दू धर्म के सभी त्यौहार व् व्रत पंचांग या हिन्दू कैलेंडर पर आधारित होते है, इसी तरह एकदशी का व्रत भी हिन्दू कैलेंडर की तिथियों के अनुसार होता है, जिसमे कुल 24 या फिर 26 एकादशी होती है। एकादशी चाहे 24 हों या 26 सभी एकादशी का अपना अलग अलग महत्त्व होता है। सभी एकादशी व्रत की समाप्ति द्वादशी तिथि पर होती है, जिसे पारण कहा जाता हैं। इस पोस्ट में हम एकादशी व्रत पारण के बारे में बात करेंगे।

एकादशी व्रत 2022 – Ekadashi Vrat 2022

विवरणजानकारी
वर्ष2022
एकादशी व्रतदेवशयनी एकादशी
तारीख और दिन10 जुलाई 2022, रविवार
तिथि/पक्षआषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष
एकादशी की शुरुआत9 जुलाई की शाम 4 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगी
एकादशी की समाप्ति10 जुलाई दोपहर को 2 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी

एकादशी पारण क्या होता है?

पारण एकादशी के व्रत को समाप्त करने को कहा जाता हैं, एकादशी व्रत से अगले दिन यानि द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद पारण किया जाता हैं। एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक हैं, और यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता हैं। द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले पारण नहीं करना एक पाप के सामान माना जाता हैं।

पारण कैसे किया जाता है?

पारण सही विधि से न किया जाए तो इस व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता, इसलिए व्रत पारण की विधि के बारे आइए आपको विस्तार से बताएं।

एकादशी व्रत का नियम दशमी से द्वादशी तक चलता है। द्वादशी को पारण करते समय चावल जरूर खाना चाहिए। तामसिक चीजों का पारण में भूल कर भी प्रयोग न करें एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के निमित्त रखा जाता है। हर मास में एकादशी आती है और मास के अनुसार एकादशी व्रत का महात्मय भी बढ़ जाता है। एकादशी व्रत करने के लिए दशमी के दिन से व्रत के नियम लग जाते हैं जो द्वादशी तक चलते हैं।

दशमी से लेकर द्वादशी तक व्रत के नियमों का पालन मनुष्य नहीं करते तो इससे उन्हें व्रत का पूरा पुण्य लाभ नहीं मिलता। ऐसे में हर किसी को यह पुण्य लाभ नहीं मिलता। सभी को यह जानना चाहिए कि व्रत के अगले दिन पारण करते हुए क्या गलतियां न करें। एकादशी पर नियम और संयम के साथ व्रत रखकर भगवान विष्णु की उपासना करने के बाद अगले दिन द्वादशी तिथि पर पारण में खास चीजों का ही सेवन करने का विधान है।

इस व्रत के पारण में कुछ विशेष चीजों का प्रयोग करने से आपको व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है और देवतागण भी प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं चीजें-

1- भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है और उनकी पूजा में यदि तुलसी न हो तो वह पूजा या भोग वह ग्रहण नहीं करते, इसलिए भगवान विष्णु के किसी भी व्रत में तुलसी का प्रयोग जरूर करें और एकादशी व्रत के पारण के लिए भी आप तुलसी पत्र को अपने मुख में डाल कर कर सकते हैं।

2- आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए आंवले का भी विशेष महत्व होता है. एकादशी व्रत का पारण आंवला खाकर करने से अखंड सौभाग्य, आरोग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

3- एकादशी व्रत के पारण पर चावल जरूर खाना चाहिए. एकादशी व्रत के दिन चावल खाना मना होता है, लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है।

4- सेम की सब्जी को कफ और पित्त नाशक माना गया है और व्रत पारण के लिहाज से भी यह उत्तम माना गया है। ऐसे में सेम धार्मिक और स्वास्थ्य के हिसाब से बेहतर पारण भोज्य माना गया है।

5- व्रत पारण में जो भी भोजन पकाया जाता है उसमें घी का प्रयोग करना चाहिए। गाय के शुद्ध घी से ही व्रत के पारण का भोजन बनाना चाहिए। घी को सबसे शुद्ध पदार्थ माना गया है और ये सेहत के लिए भी अच्छा होता है।

एकादशी व्रत का पारण कितने बजे है 2022

पारण का समय कब है- साल 2022 में देवशयनी एकादशी की शुरुआत 9 जुलाई की शाम 4 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसकी समाप्ति 10 जुलाई दोपहर को 2 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी। जो लोग देवशयनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वे लोग अगले दिन 11 जुलाई को 5 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक मध्य पारण कर सकते हैं। पारण से पूर्व स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु की पूजा करें। उसके बाद ब्राह्मणों को दान दें और फिर भोजन ग्रहण करके व्रत को पूरा करें। एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक हैं, और यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता हैं।

एकादशी व्रत अन्य सवाल जवाब

  1. आज एकादशी पारण का समय कब है?

    एकादशी व्रत पारण का समय कब है- जो लोग देवशयनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वे लोग अगले दिन 11 जुलाई को 5 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक मध्य पारण कर सकते हैं।

  2. एकादशी व्रत के पारण में क्या खाना चाहिए?

    इस व्रत के पारण में कुछ विशेष चीजों का प्रयोग करने से आपको व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है और देवतागण भी प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं चीजें-

    1- भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है और उनकी पूजा में यदि तुलसी न हो तो वह पूजा या भोग वह ग्रहण नहीं करते, इसलिए भगवान विष्णु के किसी भी व्रत में तुलसी का प्रयोग जरूर करें और एकादशी व्रत के पारण के लिए भी आप तुलसी पत्र को अपने मुख में डाल कर कर सकते हैं।

    2- आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए आंवले का भी विशेष महत्व होता है. एकादशी व्रत का पारण आंवला खाकर करने से अखंड सौभाग्य, आरोग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

    3- एकादशी व्रत के पारण पर चावल जरूर खाना चाहिए. एकादशी व्रत के दिन चावल खाना मना होता है, लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है।

    4- सेम की सब्जी को कफ और पित्त नाशक माना गया है और व्रत पारण के लिहाज से भी यह उत्तम माना गया है। ऐसे में सेम धार्मिक और स्वास्थ्य के हिसाब से बेहतर पारण भोज्य माना गया है।

    5- व्रत पारण में जो भी भोजन पकाया जाता है उसमें घी का प्रयोग करना चाहिए। गाय के शुद्ध घी से ही व्रत के पारण का भोजन बनाना चाहिए। घी को सबसे शुद्ध पदार्थ माना गया है और ये सेहत के लिए भी अच्छा होता है।

  3. एकादशी व्रत का पारण कितने बजे तक हैं?

    साल 2022 में देवशयनी एकादशी की शुरुआत 9 जुलाई की शाम 4 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसकी समाप्ति 10 जुलाई दोपहर को 2 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी। जो लोग देवशयनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वे लोग अगले दिन 11 जुलाई को 5 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक मध्य पारण कर सकते हैं।

  4. एकादशी व्रत का पारण कब करना चाहिए?

    पारण एकादशी के व्रत को समाप्त करने को कहा जाता हैं, एकादशी व्रत से अगले दिन यानि द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद पारण किया जाता हैं। एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक हैं, और यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता हैं। द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले पारण नहीं करना एक पाप के सामान माना जाता हैं।

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