सभी एकादशियों की तरह निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) में भी व्रत की कथा (Vrat Katha) को सुनना और पढ़ना बहुत ही शुभ और लाभकारी माना जाता है। इस पोस्ट में हम आपको निर्जला एकादशी 2022 की व्रत कथा हिंदी में बताने वाले है – Nirjala Ekadashi Vrat Katha in Hindi 2022
निर्जला एकादशी व्रत कथा 2022 – Nirjala Ekadashi Vrat Katha in Hindi 2022
हमारे हिन्दू धर्म में एकादशी के व्रत का बहुत महत्त्व है, इसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हर साल कुल 24/25 एकादशी के व्रत होते है, जिसमे से हर महीने 2 व्रत होते है इसी तरह जून के महीने में अपरा एकादशी के बाद निर्जला एकादशी का व्रत होता है। एक कथा के अनुसार, महाभारत काल में सबसे पहले भीम ने इस व्रत को किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत कथा- महाभारत काल के समय एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- ‘’हे परम आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं। लेकिन मैं भूख नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा- ‘’पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है। जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है।
महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए।
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