आषाढ़ का महीना समाप्त होने के बाद श्रावण का महीना शुरू होता है और इसी श्रावण के मास को सावन का महीना कहा जाता है। यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पाँचवा महीना होता है, इस महीने में आने वाली शिवरात्रि का हर भोले के भक्त को इंतज़ार होता है, जिसमे पूजा करने का विशेष फल मिलता है। इस पोस्ट में अब हम जानते है की सावन शिवरात्रि 2023 में कब है – Sawan Shivratri 2023 Mein Kab Hai
सावन शिवरात्रि 2023 में कब है – Sawan Shivratri 2023 Mein Kab Hai
हिन्दू धर्म में सावन के महीनें का विशेष महत्व है, इस महीने में भगवान शिव की आराधना की जाती है। सावन के महीने में सबसे ज्यादा महत्त्व इस महीने में आने वाले सोमवार और शिवरात्रि का अत्यधिक महत्त्व होता है। इसमें भोलेनाथ की आराधना करने से सुख शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है, कुंवारी कन्याएं इस माह में सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती है और भगवान भोलेनाथ की पूजा व अर्चना करती है।
विवरण | जानकारी |
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वर्ष | 2023 |
त्यौहार | सावन शिवरात्रि |
तारीख और दिन | 15 जुलाई 2023, शनिवार |
तिथि | चतुर्दर्शी तिथि |
शुभ मुहूर्त की शुरुआत | 16 जुलाई 2023, रविवार की सुबह 12 बजकर 8 मिनट से |
शुभ मुहूर्त की समाप्ति | 16 जुलाई 2023, रविवार की सुबह 12 बजकर 48 मिनट तक |
Sawan Shivratri 2023 Mein Kab Hai– सावन 2023 में कुल 4 सोमवार होंगे, जिसमे पहला सोमवार 10 जुलाई, दूसरा सोमवार 17 जुलाई, तीसरा सोमवार 24 जुलाई और चौथा सोमवार 31 जुलाई को होगा। इसी बीच सावन की शिवरात्रि 15 जुलाई को होगी, जिस दिन शनिवार है। यह दिन जल डेट या जल की तारीख के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन भोले बाबा की पूजा अर्चना के साथ उन पर जल भी चढ़ाया जाता है।
सावन शिवरात्रि 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त – Sawan Shivratri 2023 Puja Ka Shubh Muhurat
चतुर्दर्शी तिथि की शुरुआत, 15 जुलाई 2023 को शाम 8 बजकर 32 मिनट से होगी और 16 जुलाई 2023 की रात 10 बजकर 08 मिनट तक रहेगी।
- निशिता काल पूजा मुहूर्त प्रारम्भ – 16 जुलाई 2023, रविवार की सुबह 12 बजकर 8 मिनट से।
- निशिता काल पूजा मुहूर्त समाप्त – 16 जुलाई 2023, रविवार की सुबह 12 बजकर 48 मिनट तक।
- शिवरात्रि व्रत पारण मुहूर्त – 16 जुलाई 2023 की सुबह 05 बजकर 35 मिनट से – दोपहर 3 बजकर 54 मिनट तक।
शिवरत्रि के दिन पूजा कैसे करें – Shivratri Puja Kaise Kare
भगवान शिव के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है, जिसमे उनके ऊपर जल, दूध, बेल पत्थर, फल फूल इत्यादि को चढ़ाया जाता है। शिवलिंग भगवान शिव का ही प्रतीक है, जिसको सृजनहार के रूप में पूजा जाता है। शिवरात्रि के दिन शिव पुराण का पाठ और महामृतुंज्या मंत्र का जाप भी करना चाहिए या शिव जी के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।
शिवजी का अभिषेक कैसे करें – जैसे की आप सब को पता है ही की शिव जी के जलाभिषेक का हिन्दू मान्यता में कितना महत्व है, जिसके कारन शिवालयों में लोगो की भीड़ लगी रहती है। आपको बता दे की शिव जी को प्रसन करने के लिए शहद, दूध, दही, शक्कर, धतूरा, विल्वपत्र और गगंगाजल से शिव जी का जलाभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा कहा जाता है की अगर इस दिन भोलेनाथ को मुर्दे की भस्म लगायी जाये तो शिव जी और भी प्रसन होते है।
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