जैसा की आपको नाम से ही अंदाज़ा लग रहा होगा, कृष्ण जन्माष्टमी यानि कृष्ण + जन्म +आष्ट्मी = कृष्ण जन्माष्टमी। यह त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न प्रकार के फलाहार, दूध, दही, पंचामृत, धनिये, मेवे की पंजीरी, तुलसीदल, मिश्री एवम् विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट मिठाई को बनाकर प्रभु का भोग लगाया जाता है और मध्य रात्रि में उन्हीं से व्रत खोला जाता है। सभी पुरुष एवं स्त्री व्रत रखती है। चलिए अब देखते है कृष्णा जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में – Krishna Janmashtami Essay in Hindi
कृष्णा जन्माष्टमी – Krishna Janmashtami
विवरण | जानकारी |
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वर्ष | 2022 |
व्रत/त्यौहार | कृष्ण जन्मष्टामी |
तारीख और दिन | 18 अगस्त, 2022, गुरुवार |
तिथि/पक्ष | भाद्रपद माह की कृष्णा पक्ष की अष्टमी |
निशिथ पूजा मुहूर्त | रात्रि 12:20 से 01:05 तक रहेगा |
पारणा मुहूर्त (धर्म शास्त्र के अनुसार) | 19 अगस्त को, रात्रि 10 बजकर 59 मिनट के बाद |
कृष्णा जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में – Krishna Janmashtami Essay in Hindi
परिचय– श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव भाद्रपद माह के – कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बहुत ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मध्य रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। श्री कृष्ण जन्म अपने मामा कंस के यहाँ उन्ही के कारागृह में हुआ था। कंस बहुत ही अत्याचारी राजा था। जिसके वध हेतु श्री कृष्ण का धरती पर अवतरण हुआ था। श्री कृष्ण को भगवान श्री हरी विष्णु का 8वां रूप भी कहा जाता है।
क्योकि श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी में ही हुआ था, जिस कारण से यह व्रत मध्य रात्रि में जाकर चन्द्रमा के आगमन होने पर खुलता है। यह दिन बहुत ही धूम-धाम से खुशियों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। इस दिन आपको बाज़ारो में बहुत चहल-पहल देखने को मिलेगी और सभी व्यापरी अपनी प्रतिष्ठान को तरह -तरह की लाइट और फूल माला से सजाते है।
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है – ऐसा कहा जाता है कंस को स्वपन में भविष्य वाणी हुई, की उनकी ही बहन देवकी की आठवीं संतान उसके वध का कारण बनेगी, फिर उसने इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी ही बहन देवकी को उनके पति सहित बंदी – गृह में डाल दिया और जब भी देवकी की कोई भी संतान जन्म लेती तो कंस उसका वध कर देता था। ऐसे कर – कर के कंस ने देवकी – वासुदेव की सात सन्तानो का वध कर दिया। मगर श्री कृष्ण के जन्म होते ही वासुदेव ने श्री कृष्ण को माता यशोदा और नन्द बाबा के यहाँ पहुंचा दिया। श्री कृष्ण की महिमा के कारण कंस श्री कृष्ण तक पहुंचने में असमर्थ रहा और यही उसके वध का कारण बना। अंत में अच्छाई ने बुराई पर विजय प्राप्त की और श्री कृष्ण ने कंस के अत्याचार से पूरी प्रजा को मुक्ति दिलाई, जिस कारण की वजह से उसी दिन जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है।
जन्माष्टमी कहाँ मनाई जाती है – वैसे तो जन्माष्टमी पूरे भारत में मनाई जाती है। मगर जन्माष्टमी को मानाने का हर जगह का अपना ही एक तरीका होता है। बहुत जगह दही-हांड़ी की प्रतियोगिता रखी जाती है और बहुत जगह बच्चो को बाल गोपाल के रूप में सजाया जाता है। सभी जगह के मंदिर और तीर्थस्थल को बहुत ही खूबसूरती के साथ सजाया जाता है। महाराष्ट्र में विट्ठल, राजस्थान में ठाकुर जी, उड़ीसा में जगन्नाथ जी अन्य जगह भी श्री कृष्ण को अलग अलग रूप में पूजा जाता हैं।
जन्माष्टमी के दिन भोग – श्री कृष्ण को बालपन से ही मक्खन, दूध बहुत प्रिय रहा था। तो इसलिए सर्व प्रथम इस दिन माखन – मिश्री से बालगोपाल का भोग लगाया जाता है। धनिये की बर्फी, मावे की बर्फी, फल आहार, चरणामृत, तुलसीदल को भी माखन मिश्री के साथ भोग में शामिल किया जाता है।
कृष्णा जन्माष्टमी अन्य सवाल जवाब
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कृष्ण जन्मष्टामी कैसे मनाया जाता हैं?
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव भाद्रपद माह के – कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बहुत ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मध्य रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। क्योकि श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी में ही हुआ था, जिस कारण से यह व्रत मध्य रात्रि में जाकर चन्द्रमा के आगमन होने पर खुलता है। यह दिन बहुत ही धूम-धाम से खुशियों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। इस दिन आपको बाज़ारो में बहुत चहल-पहल देखने को मिलेगी और सभी व्यापरी अपनी प्रतिष्ठान को तरह -तरह की लाइट और फूल माला से सजाते है।
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कृष्ण जन्मष्टामी क्यों मनाया जाता हैं?
ऐसा कहा जाता है कंस को स्वपन में भविष्य वाणी हुई, की उनकी ही बहन देवकी की आठवीं संतान उसके वध का कारण बनेगी, फिर उसने इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी ही बहन देवकी को उनके पति सहित बंदी – गृह में डाल दिया और जब भी देवकी की कोई भी संतान जन्म लेती तो कंस उसका वध कर देता था। ऐसे कर – कर के कंस ने देवकी – वासुदेव की सात सन्तानो का वध कर दिया। मगर श्री कृष्ण के जन्म होते ही वासुदेव ने श्री कृष्ण को माता यशोदा और नन्द बाबा के यहाँ पहुंचा दिया। श्री कृष्ण की महिमा के कारण कंस श्री कृष्ण तक पहुंचने में असमर्थ रहा और यही उसके वध का कारण बना। अंत में अच्छाई ने बुराई पर विजय प्राप्त की और श्री कृष्ण ने कंस के अत्याचार से पूरी प्रजा को मुक्ति दिलाई, जिस कारण की वजह से उसी दिन जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है।
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