सावन 2022 में कुल 4 सोमवार होंगे, जिसमे पहला सोमवार 18 जुलाई, दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा सोमवार 01 अगस्त और चौथा सोमवार 08 अगस्त को होगा। इसी बीच सावन की शिवरात्रि 26 जुलाई को होगी, जिस दिन मंगलवार है। इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे की सावन वाले सोमवार के व्रत में हमे क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए और इसकी व्रत विधि (Sawan Somvar Vrat Vidhi in Hindi) क्या है।
सावन सोमवार व्रत
हिन्दू धर्म में सावन के महीनें का विशेष महत्व है, इस महीने में भगवान शिव की आराधना की जाती है। सावन के महीने में सबसे ज्यादा महत्त्व इस महीने में आने वाले सोमवार और शिवरात्रि का अत्यधिक महत्त्व होता है। इसमें भोलेनाथ की आराधना करने से सुख शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है, कुंवारी कन्याएं इस माह में सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती है और भगवान भोलेनाथ की पूजा व अर्चना करती है।
सावन सोमवार के व्रत के दिन की सावधानियाँ
कोई भी व्रत हो हमे सावधानी से पूर्ण करना चाहिए और अगर हम बात करे शिव जी के सावन के व्रतों की तो नीचे दी गयी सावधानियाँ हमे जरूर बरतनी चाहिए।
- सावन सोमवार के व्रत वाले दिन अगर कोई व्यक्ति व्रत नहीं भी रखता है तो उसे भी उस दिन अपने मन में बुरे विचार नहीं लाने चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और अनैतिक कार्य करने से बचना चाहिए।
- इस सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।
- सावन में भगवान शिव की पूजा में धतूरे व बेल पत्थर का बड़ा ही महत्त्व है, इसलिए इन दोनों को हमे अपनी पूजा में शामिल करना चाहिए।
- सावन के महीने में बैगन खाने से बचे क्योकि शास्त्रों में बैगन को अशुद्ध बताया गया है।
- सावन में मास मदिरा का सेवन गलती से भी नहीं करे और इनसे दूर रहे।
- सावन हरियाली का मौसम हो और इस मौसम में पेड़ पौधों को काटने से बचाये और खुद भी ना काटे।
सावन सोमवार की व्रत विधि हिंदी में – Sawan Somvar Vrat Vidhi in Hindi
सावन सोमवार का व्रत शाम तक रखा जाता है और व्रत के दिन तीसरा प्रहार खत्म होने के बाद ही भोजन करे। सावन सोमवार के व्रत में नीचे दी विधि (Sawan Somvar Vrat Vidhi in Hindi) के अनुसार व्रत को पूर्ण करें।
- व्रत के दिन प्रातः जल्दी उठे और नित्य क्रम करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- अगर शिव मंदिर जा सकते है तो वहाँ जाकर शिव का विधि विधान के साथ पूजन करे अन्यथा घर पर ही शिव जी की पूजा करें।
- शिव जी की पूजा में गंगाजल, बेलपत्थर, सुपारी पुष्प, धतूरा इत्यादि का प्रयोग करे और भोलेनाथ की कथा भी पढ़े।
- शिव जी पे जल या दूध चढ़ाने के साथ साथ नंदी और पार्वती जी को भी दूध या गंगाजल चढ़ाये।
- प्रसाद के रूप में अपनी इच्छा अनुसार या फिर घी शक्कर का भोग लगाए।
- धुप दीप से गणेश जी की आरती करे।
- अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
हमारी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद्, आप हमारे साथ सोशल मीडिया से भी जुड़ सकते है !
Feedback/Suggestion- अगर आपको हमारी पोस्ट अच्छी लगी हो या इसमें कोई कमी लगी हो तो आप कमेंट करके अपनी राय भी हमे दे सकते है।